New income tax bill parliament : क्या नया आयकर विधेयक 622 पृष्ठों और 536 धाराओं वाला होगा ?

New income tax bill parliament : नये आयकर विधेयक का उद्देश्य भारत के कर ढांचे को सरल और आधुनिक बनाना, करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाना तथा एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित करना है।

नया आयकर विधेयक – जिसे आयकर अधिनियम, 2025 कहा जाएगा, पारित होने के बाद 13 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा और इसका उद्देश्य छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 को प्रतिस्थापित करना है। यह पूरे भारत में लागू होगा और 1 अप्रैल, 2026 को लागू होगा।

विधेयक का उद्देश्य भारत के कर ढांचे को सरल और आधुनिक बनाना, करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाना तथा एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित करना है।

कर एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन ने कहा, “नए आयकर विधेयक द्वारा घेरे गए स्थान को देखें तो यह अपने आप में सरलीकरण के प्रयास का संकेत है, जबकि मौजूदा आयकर अधिनियम 1647 पृष्ठों का है, जबकि नया आयकर विधेयक 622 पृष्ठों का है।”

New income tax bill parliament : विधेयक में उल्लिखित कुछ प्रमुख प्रावधानों पर एक नजर:

New income tax bill parliament

कर वर्ष की परिभाषा

(1) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, “कर वर्ष” का तात्पर्य 1 अप्रैल से प्रारंभ होने वाले वित्तीय वर्ष की बारह महीने की अवधि से है।

(2) किसी वित्तीय वर्ष में नव स्थापित कारोबार या पेशे, या नव अस्तित्व में आने वाले आय के स्रोत की स्थिति में, कर वर्ष निम्नलिखित से आरंभ होने वाली अवधि होगी-

(क) ऐसे कारोबार या पेशे की स्थापना की तारीख; या

(ख) वह तारीख, जिसको आय का ऐसा स्रोत नये सिरे से अस्तित्व में आता है, तथा उक्त वित्तीय वर्ष के साथ समाप्त होता है।

New income tax bill parliament आयकर का प्रभार

  • किसी भी कर वर्ष के लिए आयकर इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उस दर या दरों पर लगाया जाएगा जो ऐसे कर वर्ष के लिए किसी केन्द्रीय अधिनियम द्वारा अधिनियमित की गई हों।
  • उपधारा (1) के अधीन आयकर का प्रभार इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की कर वर्ष की कुल आय पर लगेगा।
  • आयकर में इस अधिनियम के अंतर्गत लगाया गया कोई भी अतिरिक्त आयकर, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, भी सम्मिलित होगा।
  • यदि यह अधिनियम यह उपबंध करता है कि कर वर्ष से भिन्न अवधि की आय के संबंध में आयकर लगाया जाना है, तो इसे तदनुसार लगाया जाएगा।
  • उप-धारा (2) के अंतर्गत प्रभार्य आय के लिए, आयकर इस अधिनियम के अंतर्गत प्रावधान के अनुसार स्रोत पर काटा या संग्रहित किया जाएगा या अग्रिम भुगतान किया जाएगा।

New income tax bill parliament : कुल आय का दायरा

(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी व्यक्ति की, जो निवासी है, किसी कर वर्ष की कुल आय में किसी भी स्रोत से प्राप्त समस्त आय सम्मिलित है, जो

(क) उस वर्ष भारत में उस व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त किया गया हो या प्राप्त हुआ समझा गया हो; या

(ख) उस वर्ष भारत में किसी व्यक्ति को उपार्जित या उद्भूत होती है, या उपार्जित या उद्भूत हुई समझी जाती है; या

(ग) उस वर्ष भारत के बाहर के व्यक्ति को उपार्जित या उत्पन्न होता है, किन्तु जब ऐसा व्यक्ति धारा 6(13) के अधीन भारत में “सामान्यतः निवासी नहीं है”, तो उसे केवल तभी सम्मिलित किया जाएगा जब वह भारत में नियंत्रित किसी कारबार या भारत में स्थापित किसी पेशे से व्युत्पन्न हुआ हो।

(2) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी व्यक्ति की, जो अनिवासी है, कर वर्ष की कुल आय में किसी भी स्रोत से प्राप्त समस्त आय सम्मिलित है, जो–

(क) उस वर्ष भारत में उस व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त किया गया हो या प्राप्त हुआ समझा गया हो; या

(ख) उस वर्ष भारत में किसी व्यक्ति को उपार्जित या उद्भूत होती है, या उपार्जित या उद्भूत हुई समझी जाती है।

(3) भारत के बाहर उपार्जित या उत्पन्न होने वाली आय इस धारा के अधीन भारत में प्राप्त नहीं मानी जाएगी, केवल इस कारण कि उसे भारत में तैयार किए गए तुलन-पत्र में हिसाब में लिया गया है।

(4) यदि किसी आय को किसी व्यक्ति की कुल आय में इस आधार पर शामिल किया गया है कि वह-

(क) उपार्जित या उत्पन्न हुआ है; या

(ख) व्यक्ति को प्रोद्भूत या उद्भूत समझा जाता है, तो उसे इस आधार पर पुनः सम्मिलित नहीं किया जाएगा कि वह भारत में व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया है या प्राप्त समझा गया है।

गृह संपत्ति से आय

(1) करदाता के स्वामित्व वाली किसी भी इमारत या उससे संबंधित भूमि से मिलकर बनी संपत्ति का वार्षिक मूल्य “गृह संपत्ति से आय” शीर्षक के तहत आयकर के लिए प्रभार्य होगा।

(2) उपधारा (1) के उपबंध संपत्ति के ऐसे भागों पर लागू नहीं होंगे, जो करदाता द्वारा अपने कारबार या पेशे के लिए अधिभोग में हैं और जिनके लाभ पर आयकर लगता है।

New income tax bill parliament : बाद में प्राप्त बकाया किराया और वसूल न किया गया किराया

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(1) किसी किरायेदार से प्राप्त बकाया किराये की राशि या किरायेदार से बाद में वसूला गया अप्राप्त किराया उस कर वर्ष के संबंध में गृह संपत्ति से आय मानी जाएगी जिसमें ऐसा किराया प्राप्त या वसूला गया हो।

(2) उप-धारा (1) के अधीन गृह संपत्ति से आय मानी गई रकम को “गृह संपत्ति से आय” शीर्ष के अंतर्गत करदाता की कुल आय में शामिल किया जाएगा, चाहे करदाता उस कर वर्ष में संपत्ति का स्वामी हो या नहीं।

(3) उपधारा (1) में निर्दिष्ट बकाया किराये या वसूल न किए गए किराये के 30% के बराबर राशि कटौती के रूप में दी जाएगी।

 

Madhu Mishra

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